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बिहार चुनाव नतीजे: राहुल गांधी का 'हाइड्रोजन बम' कैसे हुआ फुस्स? NDA की शानदार जीत की पूरी कहानी

National Tarni Soni 15 November 2025 (14)

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। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने सभी राजनीतिक पंडितों के अनुमानों को पीछे छोड़ते हुए एक नया राजनीतिक इतिहास रच दिया है। NDA (एनडीए) ने शानदार बहुमत हासिल कर सत्ता में अपनी वापसी सुनिश्चित की है, जबकि RJD (आरजेडी) के नेतृत्व वाला महागठबंधन हार गया।

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महागठबंधन की हार न केवल तेजस्वी यादव के लिए झटका है, बल्कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा चुनाव से ठीक पहले किए गए 'हाइड्रोजन बम' के दावों पर भी सवाल खड़े करती है, जो नतीजों के सामने फुस्स होते दिखे।

महागठबंधन की हार के मुख्य कारण

महागठबंधन की हार के पीछे कई बड़े कारण बताए जा रहे हैं, जो तेजस्वी यादव की लोकप्रियता पर भारी पड़े:

'जंगलराज' की वापसी का डर: NDA ने अपने प्रचार अभियान में लालू राज की यादों को ताजा करते हुए 'जंगलराज' की वापसी को बड़ा मुद्दा बनाया। यह रणनीति जनता के बीच काम कर गई।

तेजस्वी की 'जातिवादी' छवि: विपक्षी खेमे ने तेजस्वी यादव पर केवल एक वर्ग विशेष की राजनीति करने का आरोप लगाया, जिससे वह व्यापक जनाधार जुटाने में विफल रहे।

सहयोगियों से तालमेल की कमी: महागठबंधन के सहयोगी दलों, विशेषकर कांग्रेस के साथ, सीट बंटवारे और प्रचार में तालमेल की भारी कमी दिखी। कई सीटों पर यह बिखराव महागठबंधन के लिए घातक साबित हुआ।

स्पष्ट ब्लूप्रिंट का अभाव: तेजस्वी यादव ने 'नौकरी' जैसे बड़े वादे तो किए, लेकिन इन वादों को पूरा करने के लिए एक स्पष्ट और विश्वसनीय ब्लूप्रिंट जनता के सामने पेश नहीं किया जा सका।

NDA की जीत के सूत्रधार

दूसरी ओर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी पर जनता ने एक बार फिर भरोसा जताया।

मोदी-नीतीश की जोड़ी पर भरोसा: 'सुशासन' और 'विकास' की छवि को बनाए रखते हुए, एनडीए ने मोदी और नीतीश कुमार के मजबूत नेतृत्व पर ध्यान केंद्रित किया।

बूथ मैनेजमेंट और एकजुटता: एनडीए ने मजबूत जातीय गठजोड़ और बेहतर बूथ प्रबंधन के साथ काम किया, जिसका लाभ उसे निर्णायक बढ़त के रूप में मिला।

राहुल गांधी के 'हाइड्रोजन बम' पर सवाल

राहुल गांधी ने चुनाव से पहले कथित तौर पर 'वोट चोरी' से संबंधित एक 'हाइड्रोजन बम' फोड़ने का दावा किया था, लेकिन एनडीए की प्रचंड जीत ने उनके इन दावों को राजनीतिक रूप से बेअसर कर दिया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह 'बम' चुनावी मैदान में कोई बड़ा प्रभाव डालने में असफल रहा।

बिहार के इन नतीजों से यह स्पष्ट है कि राज्य की जनता ने सुशासन, स्थिरता और विकास को प्राथमिकता दी है, और भावनात्मक मुद्दों पर राजनीतिक प्रयोग करने वालों को नकार दिया है।

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