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टाटा ट्रस्ट्स में बड़े विवाद के बीच वेणु श्रीनिवासन को लाइफटाइम ट्रस्टी बनाया गया, 23 अक्टूबर को खत्म हो रहा था कार्यकाल

Business Tarni Soni 21 October 2025 (17)

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मुंबई: टाटा ट्रस्ट्स में चल रही आंतरिक खींचतान और गुटबाजी के बीच बड़ा फैसला लिया गया है। टाटा ट्रस्ट ने दिग्गज उद्योगपति वेणु श्रीनिवासन को सर्वसम्मति से आजीवन ट्रस्टी के रूप में दोबारा नियुक्त किया है। उनका पिछला कार्यकाल 23 अक्टूबर को समाप्त हो रहा था।

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सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट (SDTT) और सर रतन टाटा ट्रस्ट (SRTT) के ट्रस्टियों ने एकमत होकर यह निर्णय लिया। श्रीनिवासन की आजीवन नियुक्ति का अर्थ है कि उनका कार्यकाल अब कभी समाप्त नहीं होगा। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब टाटा समूह से जुड़े संगठनों के भीतर काफी खींचतान चल रही है और ग्रुप कथित तौर पर दो हिस्सों में बंटा हुआ दिख रहा है।

नोएल टाटा बनाम रतन टाटा को फॉलो करने वाले

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, समूह में एक पक्ष नए चेयरमैन नोएल टाटा के साथ है, जबकि दूसरा पक्ष पूर्व चेयरमैन रतन टाटा को फॉलो करने वाले लोगों के साथ है। यह फैसला जनवरी 2025 में नोएल टाटा को भी लाइफटाइम के लिए ट्रस्टी और चेयरमैन नियुक्त किए जाने के बाद आया है। बता दें कि SDTT और SRTT की टाटा संस में कुल मिलाकर 52% हिस्सेदारी है।

नियम में बदलाव के बाद हुई नियुक्ति

वेणु श्रीनिवासन की यह दोबारा नियुक्ति ट्रस्ट्स द्वारा 17 अक्टूबर 2024 को सर्वसम्मति से पास किए गए एक प्रस्ताव के बाद हुई है। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि 'किसी ट्रस्टी का कार्यकाल खत्म होने पर उस ट्रस्टी को संबंधित ट्रस्ट की ओर से लाइफटाइम के लिए दोबारा नियुक्त किया जाएगा।' इसी नियम के तहत, दूसरे ट्रस्टी मेहली मिस्त्री की दोबारा नियुक्ति भी अगले कुछ दिनों में होने वाली है।

17 अक्टूबर 2024 की बैठक में हुए अहम फैसले:

सभी ट्रस्टी 'बराबर जिम्मेदार' हैं और रतन एन टाटा की ओर से दी गई जिम्मेदारी के साथ काम करते हैं।

अगर कोई ट्रस्टी किसी अन्य ट्रस्टी की दोबारा नियुक्ति के खिलाफ वोट करता है, तो उसे शर्तों का उल्लंघन माना जाएगा।

ट्रस्ट्स की ओर से टाटा संस के बोर्ड में नामित डायरेक्टर्स की समीक्षा 75 साल की उम्र होने पर की जाएगी।

चैरिटीज ने नोएल टाटा को टाटा संस के बोर्ड में नामित करने का फैसला लिया।

यह बैठक नोएल टाटा द्वारा अपने बड़े सौतेले भाई रतन टाटा के 9 अक्टूबर 2024 को निधन के बाद ट्रस्ट्स के चेयरमैन का पद संभालने के बाद हुई थी।

विवाद और सरकार का दखल

रतन टाटा के निधन के बाद अक्टूबर 2024 में उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन बनाया गया था। इसके बाद नवंबर 2024 में नोएल को टाटा संस के बोर्ड में भी शामिल किया गया। हालांकि, कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया कि यह फैसला ट्रस्ट के भीतर सर्वसम्मत नहीं था, जिससे टाटा संस को नियंत्रित करने वाले टाटा ट्रस्ट्स में बोर्ड सीट को लेकर सीधा-सीधा बंटवारा हो गया।

एक गुट नोएल टाटा के साथ है, जबकि दूसरा गुट मेहली मिस्त्री के साथ, जिनका कनेक्शन शापूरजी पल्लोनजी फैमिली से है। शापूरजी पल्लोनजी फैमिली की टाटा संस में 18.37% हिस्सेदारी है।

टाटा संस की बोर्ड सीट को लेकर हुए विवाद के बीच 7 अक्टूबर को सीनियर लीडरशिप ने गृहमंत्री अमित शाह के घर पर 45 मिनट की मीटिंग की थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने ग्रुप से कहा था कि कंपनी के कामकाज पर असर न पड़े, इसलिए घरेलू झगड़े को जल्द से जल्द निपटा लिया जाए।

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